
पहले आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इन दो शब्दों पर टिप्पणी की और फिर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत को छोड़कर किसी अन्य देश के संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन नहीं हुआ है. उनके इस बयान के बाद इसे लेकर बहस और तेज़ हुई.
उन्होंने कहा, “प्रस्तावना संविधान का बीज है. यह संविधान की आत्मा है लेकिन भारत में इस प्रस्तावना को 1976 के 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के ज़रिए बदल दिया गया, इसमें समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता शब्द जोड़े गए.”
ये सही भी है कि 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ तो उसकी प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे.